30 जुलाई 2019 को बिल लाया गया। कोड and wages के द्वारा देश के सभी संगठित और असंगठित क्षेत्र के के लगभग 50 करोड मजदूर भाई बहन बहनों को न्यूनतम मजदूरी का कानूनी हकदार दिया जा रहा है। समाज का वह वर्ग जो न्यूनतम मजदूरी के परिधि से बाहर है । विशेषकर असंगठित क्षेत्र चाहे वह कृषि का क्षेत्र हो, चाय ठेला चलाने वाला हो, बागों में काम करने वाला हो, घरों में काम करने वाली हमारी माताएं बहने हो, समस्त कार्य बल्ले को यह कानून बनने के बाद न्यूनतम मजदूरी का अधिकार मिलेगा।
कोड एंड वेजेस की शुरुआत 2015 में हो गई थी जब इसका ड्राफ्ट तैयार किया गया था तथा इसके बाद इसे पब्लिक डोमेन में छोड़ा गया था । पार्लियामेंट में पहली बार 2017 में प्रस्तुत किया गया था।
न्यू वेज रूल – अप्रैल 2021 से
नेट salary मैं होती है। Basic salary(इसमें टैक्स देना होता है) + तमाम allawances (जो कि आपको कंपनी की तरफ से मिलते हैं जैसे HRA , DA -dearess allowance , MA , LTA leave travelled allowances, medical allowances MA, )
अभी के नियम के मुताबिक बेसिक सैलरी 30 से 40 परसेंट होता है वही allowance में 60-70 % होता है हालांकि allowance अलग-अलग एंप्लॉय पर अलग-अलग होता है.|
नए वेज रूल के हिसाब से बेसिक सैलरी में 30 से 40% से बढ़ाकर 50% तक कर दिया जाएगा| और सभी अलाउंस को 60 से 70 परसेंट से 50 परसेंट तक कर दिया जाएगा |
इससे हमें फायदा क्या होगा?
1. सोशल सिक्योरिटी बढ़ेगी । क्युकी जैसे मेडिकल इंश्योरेंस , ग्रेच्युटी रिटायरमेंट फंड मैं मिलने वाला 12 % पीएफ , इन सब में बढ़ोतरी होगी।
2. चुकीं बेसिक सैलरी जो 30 से 40 परसेंट थी अब वह बढ़कर 50 पर्सेंट होगी तो इस तरह पीएफ में मिलने वाला कंट्रीब्यूशन भी बढ़ेगा।
नए वेज रूल से नुकसान क्या होगा?
1.बेसिक सैलेरी 50% हो जाएगी जिससे पीएफ कंट्रीब्यूशन बढ़ जाएगा और आपके घर आने वाली सैलरी कम हो जाएगी।
2. टैक्स लायबिलिटी बड़ जाएगी।
कंपनी और एंप्लॉय पर क्या असर पड़ेगा?
नए रूल के हिसाब से आपकी सैलरी घट जाएगी और टैक्स लायबिलिटी बढ़ जाएगी|
कंपनी का एक एंप्लॉय पर खर्च होने वाले पैसे को सीटीसी CTC cost to company कहते हैं | नए रूल के मुताबिक अब कंपनी का सीटीसी भी बढ़ जाएगा क्योंकि पीएफ में जितना कंट्रीब्यूशन सरकार करती है उतना ही कंट्रीब्यूशन कंपनी के द्वारा किया जाता है|
नया वेज रूल सोशल सिक्योरिटी के हिसाब से शानदार होगा। पर नया वेज रूल जो अप्रैल 2021 से चालू होगा वह एंप्लॉय की सैलरी को देखते हुए परेशान कर सकता है ।
Code on wages bill क्या हैं?
भारत की अर्थव्यवस्था में 90% कंपनी असंगठित क्षेत्र को कवर करती है। सिर्फ 10% ही कंपनी संगठित क्षेत्र में है। और कभी भी सरकार कोई नया रूल या वेज में कटौती या बढ़ोतरी करती है तो 90% वाले असंगठित क्षेत्र के काम करने वाले इससे वंचित रह जाते हैं।
90% वाले असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले भाई- बहनों को देखते हुए सरकार एक नया बिल लाई है।
हालांकि इस बिल को 2017 अप्रैल में लोकसभा में पेश किया गया था। और अगस्त 2017 में स्टैंडिंग कमेटी को भेजा गया। जिसकी रिपोर्ट 2018 दिसंबर 11 में आई थी। यह बिल लोकसभा में ही रखा था और क्योंकि 2017 में सरकार भंग होने के कारण यह बिल लैप्स हो गया। सरकार अब फिर से कोड ऑन वेज पर नया बिल लाई है।
आखिर पुराने वेज रूल में क्या प्रॉब्लम है?
पिछला कानून असंगठित क्षेत्र को कवर नहीं करता था। वह कानून जो दोनों संगठित और असंगठित क्षेत्र को कवर करता था उसके नियम असंगठित क्षेत्र में पूरी तरह अप्लाई नहीं कर पाए थे।
आख़िर कोड एंड वेज है क्या?
देश में लगभग 44 श्रम कानून मौजूद है। यह किसी भी सरकार ने कंपनी के लिए बहुत ही मुश्किल होता है कि किस तरह इसके जरिए श्रमिकों को लाभ पहुंचाया जा सके ।
इसमें सरकार रिफॉर्म लाने के लिए सरकार 4 बिल पेश करेगी।
1.वेज कोड।
2. इंडस्ट्रियल सेफ्टी एंड वेलफेयर।
3.इंडस्ट्रियल रिलेशन।
4.सोशल सिक्योरिटी।
चार बिल में से सबसे पहला बिल जो कोड ऑन वेजेस बिल है इसमें चार कानून आते हैं।
1.द पेमेंट ऑफ वेजेस एक्ट, 1936.
2.द मिनिमम वेजेस एक्ट, 1948.
3. द पेमेंट ऑफ बोनस एक्ट, 1965.
4.द इक्वल रेमुनरेशन एक्ट,1976.
इन चारों एक्ट को मिलाकर सरकार एक कोड एंड वेजेस बिल लाई थी।
Code and wages act की विशेषताएं:-
1.केंद्र सरकार में जैसे रेलवे और माइंड में मिनिमम वेजेस लाएगी ।
2.वहीं राज्य में राज्य सरकार मिनिमम वेज लाएगी।
3.इसमें केंद्रीय सरकार के हाथ में शक्ति रहेगी कि वह पूरे राष्ट्रीय स्तर पर मिनिमम वेज कानून ला सकती है जैसे उदाहरण के लिए- अगर सरकार 10,000 से नीचे की सैलरी पर पाबंदी लगाती है । तो पूरे देश में 10,000 से कम सैलरी किसी को नहीं मिलेगी। और कोई भी राज्य सरकार के पास इससे कम सैलरी देने का कोई हक नहीं रहेगा
4. सरकार किसी विशेष क्षेत्र में श्रम कानून लागू कर सकती है। जैसे पूर्व में हाई वेज और नॉर्थ में लो वेज श्रम कानून लागू कर सकती हैं।
5.इस बिल के अंतर्गत सरकार हर 5 साल बाद वेजेस को रिवाइज्ड करती रहेगी।
6. अगर कोई ओवरटाइम करता है तो उसे वेजेस के नॉर्मल रेट से 2 गुना मिलेगा।
7 इस बिल की खास बात यह है कि पेमेंट को एंप्लॉई के बैंक अकाउंट में डायरेक्ट डिपाजिट करना होगा।
8. इस बिल के अनुसार कोई भी डिस्प्यूट केस को अपीलेट अथॉरिटी में सुना जाएगा और यह अपीलेट अथॉरिटी इस बिल के अनुसार बनाई जाएगी और इसके अनुसार ही कार्य करेगी ।
9. केंद्र अलग से Central advisory board बनाएगी और राज्य state advisory board. इस बोर्ड के अंदर जो नौकरी देने वाला र और जो नौकरी ले रहा है और कोई स्वतंत्र नागरिक रहेंगे। इस बोर्ड का काम सरकार को वेजेस के संबंध से सलाह देने का होगा।
10. इस बिल का सबसे ज्यादा फायदा इज ऑफ डूइंग बिजनेस को होगा।
वेज ऑन कोड के नुक़सान ?
1. राज्य सरकार, केंद्र सरकार के न्यूनतम वेज से राज्य का वेज नहीं रख पाएगी।
2. इस बिल में लिंग भेदभाव पर बात की गई हैं। पर कंपनी द्वारा महिला और पुरुष एंप्लॉय को चुनते वक्त प्रेफरेंस की बात नहीं की गई है।
International Labour organisation के convention number 138 के अनुसार सभी को न्यूनतम वेज मिलना चाहिए । और convention number 182 श्री राम के सबसे खराब रूप की निंदा और इसे हटाने की बात करता है। जैसे बाल श्रम। और भारत ने इस कन्वैक्शन पर रेक्टिफाई किया है